19 मार्च का दिन था।हम सब परिणाम का इंतजार कर रहे थे।तभी मेरे मित्र ईशान का फोन आया कि परिणाम आ चुके हैं और उसने मात्र ५ अंक प्राप्त किए हैं।मैं आश्चर्य चकित था कि जब इसने इतना बुरा प्रर्दशन किया है तो मेरा क्या हुआ होगा।मैं झट से दौड़कर अपना परिणाम भी देखने पहुँचा,और पाया कि मेरी रेैन्क भी उम्मीद से काफी कम मात्र ११५७ रह गई।थोड़ा झटका तो जरूर लगा पर चूंकि सफलता की आस कुछ वक्त पहले उस मित्र से बात कर के लगभग समाप्त सी हो गई थी,तुरंत ही उस झटके से उबर भी गए।मेरा एक और दोस्त भी साथ था,उसकी रैन्क मेरे से बेहतर करीब ५०० थी।थोडी खुशी हुई पर उसकी भी दाखिला लेने की संभावना काफी कम है,ऐसा हमें कुछ देर बाद पता चला।
तुरंत ही पिछला एक साल आँखों के सामने खड़ा सा हो गया।मन में आया कि इतनी पढाई कर के भी सफलता हाथ न लगी।
कहीं वक्त बरबाद तो नहीं हो गया?
कहीं हम गलत रास्ते तो नहीं चल दिए?
फिर अपने मन को समझाते हुए मैं घर पहुँचा,तो यह पाया कि मेरी सफलता असफलता का प्रभाव मेरे प्रियजनों पर ज्यादा नहीं पड़ता।मैंने भी औपचारिक तौर पर यह बता दिया कि इस बार भी नहीं हो पाया।फिर अपनी किताबें पलटने लगा।लगभग एक महीने से पढ़ाई बंद सी हो गई थी,अब सब कुछ फिर से पढना पडे़गा,यह सोचकर थोडी झल्लाहट भी हो रही थी,पर सच्चाई तो यही थी।अब आजकल बैठ कर योजना बना रहा हूँ कि आगे कैसे बढा जाए।कुछ फॉर्म भी भरे हैं ताकि अपनी ओर से कोई कमी न रहे।उम्मीद है कि अगले कुछ महीने होने वाली परीक्षाओं में से किसी में सफलता हाथ जरूर लगेगी।
अब सबसे बड़ा सवाल जो सामने खड़ा है वह है कि अब आगे कैसे बढा जाए।क्योंकि जो बीत गया सो बीत गया अब आगे के बारे में ही सोचना होगा।अब इतना वक्त भी नहीं है कि उस के बारे में ज्यादा सोच पाएं। बस आत्मविश्वास है कि मेहनत का फल सफलता के रूप में ही मिलता है।और तमाम असफलता के बावजूद एक सफलता हाथ लग जाए ता अपार खुशी मिलती है।आगे का यही विचार है कि हिम्मत नहीं हारनी है,अपने ऊपर विश्वास रखना ही होगा।
मैं उन लोगों में से नहीं हूँ जो एक परिणाम के बाद अपने ऊपर से विश्वास खो देते हैं,बल्कि मैं तो यह सोचता हूँ कि आगे बढ़ना है तो असफलताओं को भी गले लगाना पडेगा।मैंने जिन सफल लोगों के बारे में पढा है,सबनें कई जगह असफलता पाई,पर अपने पथ से नहीं भटके,फिर हमें किस बात का डर है?
कुछ दिनों पहले हम हरिद्वार तथा ऋषिकेश घूम कर आ गए।काफी रोमांचक अनुभव रहा,अगले हफ्ते विचार कर रहा हूँ कि आगरा घूम आऊं,ज्यादा दूर भी नहीं है,इसलिए वक्त भी ज़ायर नहीं होगा,और मन बहल जाएगा।हाँलांकि,मैं स्वभाव से घुम्मकर किस्म का व्यक्ति हूँ,परंतु इन परीक्षाओं ने मुझे बांध रखा है,और मैं किसी में पास होने के बाद ही स्वच्छंद रूप से घूम पाऊंगा।
ज्यादा उम्मीदें नहीं रखनी चाहिए,असफलता हाथ लगते ही एक अजीब किस्म की निराशा होती है।हमेशा से कक्षा का अग्रिम छात्र होने के कारण मुझे इन लगातार मिलती असफलता से थोड़ा अजीब लग रहा है।अब बस यह आशा है कि जल्दी से जल्दी किसी परीक्षा में अच्छी खबर मिले और मैं अपने रास्ते पर,जिससे कि पिछले एक साल से भटक सा गया हूँ,उस पर पुनः चल पड़ूँ और अपने जीवन को सफल बनाऊँ........
तुरंत ही पिछला एक साल आँखों के सामने खड़ा सा हो गया।मन में आया कि इतनी पढाई कर के भी सफलता हाथ न लगी।
कहीं वक्त बरबाद तो नहीं हो गया?
कहीं हम गलत रास्ते तो नहीं चल दिए?
फिर अपने मन को समझाते हुए मैं घर पहुँचा,तो यह पाया कि मेरी सफलता असफलता का प्रभाव मेरे प्रियजनों पर ज्यादा नहीं पड़ता।मैंने भी औपचारिक तौर पर यह बता दिया कि इस बार भी नहीं हो पाया।फिर अपनी किताबें पलटने लगा।लगभग एक महीने से पढ़ाई बंद सी हो गई थी,अब सब कुछ फिर से पढना पडे़गा,यह सोचकर थोडी झल्लाहट भी हो रही थी,पर सच्चाई तो यही थी।अब आजकल बैठ कर योजना बना रहा हूँ कि आगे कैसे बढा जाए।कुछ फॉर्म भी भरे हैं ताकि अपनी ओर से कोई कमी न रहे।उम्मीद है कि अगले कुछ महीने होने वाली परीक्षाओं में से किसी में सफलता हाथ जरूर लगेगी।
अब सबसे बड़ा सवाल जो सामने खड़ा है वह है कि अब आगे कैसे बढा जाए।क्योंकि जो बीत गया सो बीत गया अब आगे के बारे में ही सोचना होगा।अब इतना वक्त भी नहीं है कि उस के बारे में ज्यादा सोच पाएं। बस आत्मविश्वास है कि मेहनत का फल सफलता के रूप में ही मिलता है।और तमाम असफलता के बावजूद एक सफलता हाथ लग जाए ता अपार खुशी मिलती है।आगे का यही विचार है कि हिम्मत नहीं हारनी है,अपने ऊपर विश्वास रखना ही होगा।
मैं उन लोगों में से नहीं हूँ जो एक परिणाम के बाद अपने ऊपर से विश्वास खो देते हैं,बल्कि मैं तो यह सोचता हूँ कि आगे बढ़ना है तो असफलताओं को भी गले लगाना पडेगा।मैंने जिन सफल लोगों के बारे में पढा है,सबनें कई जगह असफलता पाई,पर अपने पथ से नहीं भटके,फिर हमें किस बात का डर है?
कुछ दिनों पहले हम हरिद्वार तथा ऋषिकेश घूम कर आ गए।काफी रोमांचक अनुभव रहा,अगले हफ्ते विचार कर रहा हूँ कि आगरा घूम आऊं,ज्यादा दूर भी नहीं है,इसलिए वक्त भी ज़ायर नहीं होगा,और मन बहल जाएगा।हाँलांकि,मैं स्वभाव से घुम्मकर किस्म का व्यक्ति हूँ,परंतु इन परीक्षाओं ने मुझे बांध रखा है,और मैं किसी में पास होने के बाद ही स्वच्छंद रूप से घूम पाऊंगा।
ज्यादा उम्मीदें नहीं रखनी चाहिए,असफलता हाथ लगते ही एक अजीब किस्म की निराशा होती है।हमेशा से कक्षा का अग्रिम छात्र होने के कारण मुझे इन लगातार मिलती असफलता से थोड़ा अजीब लग रहा है।अब बस यह आशा है कि जल्दी से जल्दी किसी परीक्षा में अच्छी खबर मिले और मैं अपने रास्ते पर,जिससे कि पिछले एक साल से भटक सा गया हूँ,उस पर पुनः चल पड़ूँ और अपने जीवन को सफल बनाऊँ........
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